संघर्ष विजय का दुहराता हूँ मैं
लक्ष्य पर अपनी पैनी नजर रख भेदने का दम रखता हूँ । .
कदम से कदम मिलाकर
हम भी किसी से कम नहीं बार -बार विश्वासव दिलाता हूँ।
नाव अगर हमको डुबाये तैरकर निकलने का दम रखता हूँ ।
कदम से कदम मिलाकर
रह सकेंगे कब तक पानी में मगर से बैर क़र सुनता ही रहा हूँ ।
लोगों को हर जगह बस यही बात दुहराते हुये अक्सर पाता हूँ ।
कदम से कदम मिलाकर
मुठियों में कैद चंद लोगों की रह सकेगी स्वतंत्रता कब तक देखूंगा ।
लावा बनकर बह निकलेगी एक दिन आवाज़ बुलंद करते जाता हूँ ।
कदम से कदम मिलाकर
अतियों की आंधी में हर- दम साहस से घुस टकरा जाया करता हूँ ।
बार -बार पराजय मिलने पर भी संघर्ष विजय का दुहराता हूँ ।
कदम से कदम मिलाकर
लकड़ी से निकलता है धुआं जब तक संग अनेको लोगों को पाता हूँ।
सुलगते -सुलगते आग मगर अक्सर खुद को अकेला पाता हूँ ।
कदम से कदम मिलाकर
हर बार कुछ न कुछ किया करता हूँ कुछ करने न हो ऐसी बात नही।
जुल्म नहीं सह सकता कदम-कदम पर चुनौतियाँ खड़ी करता हूँ । .
कदम से कदम मिलाकर
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