टेसू बिन फागुन न होय
बसंत ऋतु आते ही अनायास लाल – लाल टेसुओं की याद हो आती है। बनन – बागन में टेसुओं का फूलना और अन्य वृक्षों से पत्तों का झड़ना यह प्रकृति प्रदत्त उपहार है।आमों का बौर लगना ,कोयल का कूकना व खेतों में सरसों का लहलहाना एक खुशनुमा माहौल बनाता है।इसलिए तो बसंत को ऋतुराज कहा […]
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